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मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदने पर सरकार दे रही पैसा; जानिए सब्सिडी की इस बेहतरीन योजना के बारे में

Mukesh Gusaiana
4 Min Read

Murrah Breed Buffalo: भारत में गौ-भैंसों का पालन और पशुपालन की परंपरा अपनाने का मामूला है, जो प्राचीन काल से चलता आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले अधिकांश परिवार खेती और पशुपालन से जुड़े हैं, और इससे दूध और अन्य उत्पादों के व्यापार से अपना जीवन यापन करते हैं। आज, किसान भाइयों द्वारा अधिक लाभ कमाने के लिए हमारे देशी और विदेशी नस्लों के गौ-भैंसों का पालन किया जा रहा है। किसान भैंसों के पालन के मामूले में गौ-भैंसों को पसंद करते हैं, क्योंकि भैंस गौ की तुलना में अधिक दूध देती है और उसका दूध गाढ़ा होता है। इसी कारण डेयरी फार्मिंग के लिए भैंसों के पालन का विचार किसान द्वारा अधिक उचित माना जाता है।

आज, देश के कई राज्यों में ऐसी बहुत सी नसलें हैं, जो अधिक दूध उत्पादन करने की क्षमता रखती हैं। इसमें से एक नसल ‘मुर्रा’ नामक गौ-भैंस की है। यह नसल अन्य नसलों की तुलना में अधिक दूध देती है। हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, और बिहार के राज्य सरकारें किसानों को मुर्रा नसल की गौ-भैंस के पालन पर उनके निर्धारित नियमों के अनुसार 40-50% तक सब्सिडी भी प्रदान करती हैं।

“भैंस की मुर्रा नस्ल (Murrah Breed Buffalo)” – डेयरी फार्मिंग के व्यापार में, मुर्रा नस्ल की भैंस को उपयुक्तता के कारण पशुपालक विशेष प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि मुर्रा नस्ल की भैंस दूध की उत्पादन क्षमता में अधिक सुधार करने वाली नस्ल है।

भैंसों की मुर्रा नस्ल का विशेष स्वरूप

मुर्रा नस्ल की भैंसों की विशेष पहचान होती है। इनका सिर छोटा होता है, साथ ही सिर पर सींग होता है, और इनकी पूंछ लंबी होती है, और उनके बाल और पैर सुनहरे होते हैं। इनकी गर्भावधि लगभग 310 दिनों की होती है।

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“मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन” – हरियाणा, पंजाब, नाभा, पटियाला, दिल्ली, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश के पशुपालकों के द्वारा मुख्य रूप से किया जाता है, जो मुर्रा नस्ल की भैंस को पालते हैं।

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार, द्वारा मुर्रा नसल की भैंस के पालन करने वाले किसानों और पशुपालकों को 50% से अधिक सब्सिडी प्रदान की जाती है.

हरियाणा में, छोटे किसानों और शिक्षित युवा किसानों को हाईटेक और मिनी डेयरी उद्योग शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।

बिहार में, नंद बाबा मिशन के अंतर्गत पशुपालकों को खेती के साथ पशुपालन क्षेत्र से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में, नंद बाबा मिशन के तहत किसानों और पशुपालकों को गौ संवर्धन योजना के द्वारा 40,000 रुपए या 40% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है।

इन योजनाओं के तहत गौ-भैंसों के पालन करने वाले किसान और पशुपालक अपने पशुपालन विभाग से संपर्क करके सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे डेयरी उद्योग में उपरांत अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

इस प्रकार, मुर्रा नसल की भैंस का पालन करने से किसान और पशुपालक अपने आय को बढ़ा सकते हैं और डेयरी उद्योग में अपने सपनों को पूरा करने का मौका प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, ये योजनाएं गौ-भैंसों की संरक्षा और उनके पालन को बढ़ावा देने में भी मदद करती हैं, जो गौ माता को और उनके संवर्धन को बढ़ावा देती हैं।

यदि आप डेयरी उद्योग के लिए उत्तम गौ-भैंस की तलाश कर रहे हैं, तो मुर्रा नसल की गौ-भैंस को विचार में लें और इसके अद्भुत उत्पादन क्षमता का लाभ उठाएं।

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मुकेश गुसाईंना (Mukesh Gusaiana) झलको हरियाणा में सीनियर एडिटर और इसके सस्थापक हैं. डिजिटल मीडिया में 9 साल से काम कर रहे हैं. इससे पहले किसान केसरी पर अपनी सेवाएं दे रहे थे, इन्होने अपने करियर की शुरूआत चौपाल टीवी में कंटेंट राइटिंग से की और पिछले कई सालों से लगातार ऊँचाइयों को छूते जा रहे हैं ।
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