रोहतक: राज्य की मनोहर सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद, पराली प्रबंधन प्रणाली 2023 को पूरे राज्य, विशेषकर पंजाब और दिल्ली के साथ, लागू करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसका मकसद वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गंभीरता से ध्यान दिया था।
राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन के उपायों में किसानों के लिए अपने खजाने के दरवाजे खोल दिए हैं। किसानों को प्रति एकड़ 14500 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का एलान किया गया है, जो “मेरा पानी, मेरी विरासत” अभियान के तहत फसल विविधीकरण के लिए है। इसके अलावा, बीज से धान की बुआई के लिए भी 4000 रुपये प्रति एकड़ की राशि दी जा रही है।
सीएक्यूएम के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 39 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 2022 की तुलना में 35 प्रतिशत की कमी है। यूपी एनसीआर में इस दिशा में 49 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सरकार ने वायु प्रदूषण के खिलाफ और भी कई कदम उठाए हैं, जैसे कि बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों की आवागमन पर प्रतिबंध लगाना और रोक लगाना। इसके साथ ही, सरकार ने विभिन्न मदों में 600 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके वायु प्रदूषण से निपटने का प्रयास किया है। उसी के अंतर्गत, पराली न जलाने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है।
किसानों के लिए और भी कई योजनाएं हैं, जैसे कि मशीनों पर 65 फीसदी तक की सब्सिडी और पुआल की गांठें बनाने पर प्रोत्साहन राशि। इस नीति के कार्यान्वयन से न केवल वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि समृद्धि और सुरक्षा की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।