Difference between Highway and Expressway : देश में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. रोड कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. एक्सप्रेसवे की चर्चा पिछले कुछ महीनों में तेजी से बढ़ी है. एक्सप्रेसवे- यानी एक्सेस कंट्रोल हाईवे, ऐसे रास्ते होते हैं जिन पर कहीं से भी चढ़ा या उतरा नहीं जा सकता है.
फीचर | हाईवे | एक्सप्रेसवे |
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स्पीड सीमा | 100 किलोमीटर/घंटा | 120 किलोमीटर/घंटा |
एंट्री/एग्जिट पॉइंट | सड़क के कई स्थानों से | निश्चित पॉइंटों से |
जगह की आवश्यकता | शहरों के बीच से | खेतों और मैदानों के बीच |
शहर से कितनी दूर | कम | ज्यादा |
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, जैसा कि नाम से जाहिर है कि इन्हें हरे मैदानों या खेतों के बीच से निकाला जाता है. यहां भूमि अधिग्रहण आसान होता है, जमीन समतल होती है और शहर से थोड़ा दूर होने के कारण भीड़-भाड़ भी कम होती है.
इसलिए इन एक्सप्रेसवे को बनाना और फिर यहां उच्च गति पर वाहन का परिचालन करना आसान होता है. ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की एक और पहचान है कि इन्हें वहां बनाया जाता है जहां पहले कभी रोड ना रही हो.
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के उदाहरण
देश में 22 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने की योजना है. फिलहाल ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का उदाहरण देखें तो दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे, नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर, हैदराबाद-रायपुर कॉरिडोर, इंदौर-हैदराबाद कॉरिडोर, खड़गपुर-सिलीगुड़ी, दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर और रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर इसमें शामिल हैं.
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे हमारे देश के यातायात को सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने का माध्यम है. इन्हें बनाने से हमारी सड़कों पर यातायात अवरुद्ध होता है और लोगों की जीवनशैली में सुधार होता है। इसके साथ ही, ये रास्ते आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देते हैं, क्योंकि वे अधिक सुविधाजनक होते हैं और व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा प्रदान करते हैं।
इसलिए, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे एक महत्वपूर्ण पहल है जो हमारे देश के यातायात को सुधारने में मदद कर रही है।