स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत का भार अब बिजली कंपनियों पर नहीं, बल्कि उन्हें खुद उठाना होगा। अब बिजली कंपनियां बिजली को महंगा नहीं बना सकेंगी, स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लागत को उपभोक्ताओं पर ठोंकने की बजाय। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस बारे में राज्यों के विद्युत नियामक आयोग को एक पत्र भेजा है।
केंद्र के निर्णय से प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। कंपनियों द्वारा तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपये से खरीदे जा रहे लगभग तीन करोड़ मीटर के एवज में बिजली की दरें नहीं बढ़ाई जा सकेंगी।कंपनियों को 18 से 40 रुपये प्रति मीटर फायदा
ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि आत्मनिर्भर योजना के तहत केंद्र द्वारा कंपनियों को 900 से 1350 रुपए प्रति मीटर अनुदान दिया जाएगा। केंद्र के इस निर्देश से पहले बिजली कंपनियां मीटर का खर्च उपभोक्ताओं से वसूलने की तैयारी कर रही थीं। ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि प्रदेश में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं, उससे बिजली कंपनियों को 18 से 40 रुपये प्रति मीटर फायदा हो रहा है।
नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने किया था विरोध
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद लगातार इस बात की मांग कर रहा था कि स्मार्ट प्री-पेड मीटरों की लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर न डाला जाए। इस मुद्दे को परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष भी उठाया था।
परिषद की मांग पर सहमति जताते हुए नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष आरपी सिंह ने स्मार्ट मीटर के खर्च का भार उपभोक्ताओं पर डालने के निर्णय का हर स्तर पर विरोध किया। उन्होंने इस मुद्दे को आत्मनिर्भर योजना के तहत हल करने का सुझाव उच्च स्तर पर दिया था।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लिया
माना जा रहा है कि सिंह के सुझाव पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अब निर्देश जारी किए हैं कि बिजली कंपनियां आत्मनिर्भर स्कीम के तहत विद्युत राजस्व वसूली की दक्षता बढ़ाकर मीटरों के खर्च की भरपाई करें। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के एवज में उपभोक्ताओं पर किसी तरह का अतिरिक्त व्यय भार न डालें।
उल्लेखनीय है कि सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत जहां लगभग सात-आठ हजार वहीं थ्री-फेज की 10-11 हजार रुपये है। अब तक प्रदेश में तकरीबन 12 लाख स्मार्ट मीटर ही लगाए गए हैं।